top of page

Education is fun for all ages

चालाक शिकारी

ऐप पर पढ़ें

फूलगढ़ का जमींदार बहुत गुस्से वाला था। लोगों को बिना बात सताने में उसे बहुत मजा आता था। मोटी अक्ल होने के कारण कोई भी बात उसकी समझ में देर से आती थी। गांव के पास घना जंगल था। जमींदार अकसर वहां शिकार खेलने जाया करता था।  एक बार जमींदार जंगल में शिकार करने गया। वहां एक हिरन देखकर उसपर निशाना साधने लगा। इतने में ही वहां खड़े एक दूसरे शिकारी ने शिकार कर लिया। हिरन जमीन पर गिर पड़ा।  यह देख, जमींदार आगबबूला हो उठा। वह शिकारी से बोला, “तुमने हिरन का शिकार क्यों किया? उसे तो मैं मार रहा था।” उसने  शिकारी को अपने नौकरों से खूब पिटवाया। शिकारी को बिना बात पिटने पर बहुत गुस्सा आया। उसने मन ही मन निश्चय कर लिया, ‘अब यहां नहीं रहूंगा। पर जाने से पहले इस दुष्ट जमींदार को सबक सिखाकर जाऊंगा।’ शिकारी सारी रात योजना बनाता रहा। सुबह वह चुपचाप जमींदार की हवेली की ओर गया। रास्ते में उसे पता चला कि थोड़ी ही देर में जमींदार फिर से शिकार पर जाने वाला है। बस, वह तुरंत लौट पड़ा। घर से बंदूक लेकर जंगल में गया। रास्ते में उसने एक खरगोश का शिकार किया। उसे एक झाड़ी में छिपा दिया। बहुत दूर एक कोने में एक पेड़ पर कौओं का झुंड बैठा था। शिकारी ने कुछ कौओं का भी शिकार किया। उन्हें उठाकर पेड़ों के नीचे डाल दिया। इसके बाद शिकारी जंगल में छिपकर जमींदार की प्रतीक्षा करने लगा। कुछ देर में जमींदार और उसके आदमी आते दिखाई दिए। शिकारी अपने छिपने की जगह से बाहर निकला। दूर झाड़ी के पास बंदूक तानकर खड़ा हो गया। जैसे ही जमींदार पास आया, तो उसने गोली चला दी। जमींदार ने इधर-उधर देखा। कोई जानवर न पाकर व्यंग्य से बोला,“क्यों हवा में गोलियां बरबाद कर रहा है, नालायक शिकारी।” शिकारी ने जमींदार को नमस्कार किया। फिर बोला, “ऐसी बात नहीं है। यह जादुई बंदूक है। इसका निशाना कभी खाली नहीं जाता। इसका करिश्मा आपको दिखाता हूं।” फिर उसने झाड़ी में पड़े खरगोश को उठाकर जमींदार को दिखा दिया।  जमींदार अविश्वास से बोला, “झूठ! भला ऐसा भी कभी हो सकता है?” तब तक शिकारी ने दूर कोने में खड़े पेड़ों की ओर बंदूक तानकर गोली चला दी। फिर बोला, “इस बंदूक का निशाना कभी खाली नहीं जाता। आप खुद देख लें।” फिर उसने पेड़ों के पास जाकर नीचे पड़े कौओं को उठाकर दिखा दिया। जमींदार की आंखें अचरज से फटी की फटी रह गईं। वह बोला, “यह बंदूक मुझे बेच दो। मैं तुम्हें दो हजार रुपए दूंगा। बोलो, मंजूर है?” “मेरे बाबा ने यह बंदूक एक जादूगर से खरीदी थी। उसने कहा था कि इसे कभी नहीं बेचना।” शिकारी ने कहा। “चलो, चार हजार ले लेना। बस, अब दे दो।” कहते हुए जमींदार ने शिकारी के हाथ से बंदूक झटक ली। जमींदार के इशारे पर शिकारी को चार हजार रुपए दे दिए गए। रुपए लेकर शिकारी तुरंत घर लौट आया। पत्नी से बोला, “देखो, जमींदार थोड़ी देर में यहां आने वाला है। तैयार हो जाओ।” और उसने पत्नी को सारी बात समझा दी। थोड़ी देर में सचमुच जमींदार चिल्लाता हुआ शिकारी के घर के अंदर घुस आया। उसने देखा, शिकारी एक हथौड़ी लेकर पत्नी के पास खड़ा है। जमींदार के देखते ही शिकारी ने  हथौड़ी से पत्नी की कनपटी पर ठकठकाया। बोला, “दे एक रुपया।” जमींदार ने देखा कि  शिकारी की पत्नी के मुंह से एक रुपया फर्श पर गिर पड़ा। यह अजूबा देखकर जमींदार बोला, “तुम्हारी दी बंदूक से दो गज की दूरी पर बैठा जानवर भी नहीं मरता। तुमने मुझे ठग लिया।” शिकारी बोला, “मैंने आपको धोखा नहीं दिया। मेरी दी बंदूक चमत्कारी है और यह हथौड़ी भी। इससे ठकठकाने पर मुंह से रुपए निकलते हैं। यह देखिए।” कहकर शिकारी ने फिर से हथौड़ी को अपनी पत्नी की कनपटी से छुआया, तो उसके मुंह से फिर एक रुपया गिर पड़ा।  जमींदार अचरज से यह अजूबा देख रहा था। शिकारी बोले जा रहा था, “जबसे यह मिली है, तब से मैं बहुत रुपया बना चुका हूं। अगर आपको बंदूक पसंद नहीं, तो अपने रुपए शाम को ले जाना। तब तक तो चार हजार रुपए बन ही जाएंगे।” जमींदार बंदूक की बात भूल गया। बोला, “क्या यह हथौड़ी बेचोगे मुझे?” “किसी भी कीमत पर नहीं। पहले ही अपनी बंदूक तुम्हें बेच चुका हूं।” शिकारी ने कहा। जमींदार लालच में पागल हो गया। बोला, “पांच हजार, दस हजार, जितने चाहिए ले लो। तुम्हारी बंदूक भी तुम्हें वापस कर दूंगा। उसके पैसे भी नहीं लूंगा। मैं अभी रुपए लेकर आता हूं।” थोड़ी देर में जमींदार दस हजार रुपए लेकर आ गया। शिकारी ने बंदूक और रुपए लेकर हथौड़ी उसे दे दी। जमींदार हथौड़ी लेकर घर पहुंचा। जमींदारनी को बुलाया। कहा, “बस, अब हम मालामाल हो जाएंगे। तुम्हारे मुंह से रुपयों की बारिश होगी।” फिर उसकी कनपटी को हथौड़ी से सहलाकर बोला, “दे रुपया।” रुपया कहां से निकलना था? वह तो शिकारी की चाल थी। उसकी पत्नी उसके कहने से पहले से ही मुंह में रुपए भरकर खड़ी हो गई थी। उन्हें ही वह बारी-बारी उगल देती थी। हथौड़ी लगते ही जमींदारनी चिल्लाने लगी। जमींदार को काटो, तो खून नहीं। वह समझ गया था कि शिकारी ने उसे दो बार मूर्ख बना दिया। पैसे के साथ बंदूक भी ले गया। वह गुस्से से अपनी बंदूक उठाकर शिकारी के घर की ओर दौड़ा।  लेकिन घर पर शिकारी था ही कहां? वह तो कब का अपने परिवार के साथ वहां से रफूचक्कर हो चुका था।  जमींदार सिर पीटकर रह गया

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Advantages of friction: 1 Friction enables us to walk freely. 2 It helps to support ladder against wall. 3 It becomes possible to transfer one form of energy to another. 4 Objects can be piled up with

History of India The Indian subcontinent, the great landmass of South Asia, is the home of one of the world’s oldest and most influential civilizations. In this article, the subcontinent, which for hi

bottom of page