top of page

Education is fun for all ages

जब सामने वाले खाली घर में सामान से भरा ट्रक आकर रुका, तो पूर्वा और पूशन को ऐसा लगा, जैसे उनके घर में चोर आ गए हैं। लगभग दो सालों से सामने वाला घर खाली था। घर के बाहर बहुत बड़ा लॉन था और वहां तरह-तरह के पेड़ थे। अमरूद के चार, आम के पांच, और साथ में बेर और फालसे भी। दस साल की पूर्वा और नौ साल का पूशन जैसे ही स्कूल से लौटते, वहां खेलने चले जाते। ऐसा लगने लगा था जैसे सामने वाले घर के पेड़-पौधे उनके हैं। घर की देख-रेख करने वाला नंदू काका भी उनका दोस्त बन गया था।  फिर एक दिन नंदू काका ने दोनों को बताया कि इस घर को नए मालिक मिल गए हैं। अगले सप्ताह आ जाएंगे यहां रहने के लिए। इस बीच घर की साफ-सफाई शुरू हो गई। रोज मजदूर आकर घर की मरम्मत-पुताई वगैरह करने लगे। पूशन और पूर्वा स्कूल से लौटकर आते, तो पाते, सामने वाला घर कुछ और बदल गया है। घर के सामने टूटा-फूटा फाटक था, जिसे कोई भी खोलकर अंदर जा सकता था। उसकी जगह लोहे का खूब बड़ा सा गेट लग गया। गेट पर ताला भी लटकने लगा। यह देखकर पूशन को गुस्सा आ गया, “दीदी, अब हम अंदर कैसे जाएंगे?” पूर्वा ने लंबी सांस लेकर कहा, “भाई, यह किसी और का घर है, वे नहीं चाहते हम अंदर जाएं।” पूशन ने अकड़कर कहा, “मैं तो जाऊंगा।” पूशन ने दौड़कर गेट पर चढ़ने की कोशिश की, पर चढ़ नहीं पाया। दोनों ने घर के बाहर खड़े होकर देखा, अमरूद के पेड़ों पर न जाने कितने अमरूद पककर लटकने लगे थे। पूशन ने हसरत से उनकी तरफ देखा।  ट्रक से सामान उतर चुका था। गेट के अंदर एक लंबी सी सफेद गाड़ी आई। गाड़ी से दो लोग नीचे उतरे। एक था सफेद दाढ़ी वाला आदमी, जिसने काले रंग का कोट पहन रखा था। कमर थोड़ी झुकी हुई थी। उसके साथ थी गोल चेहरे वाली एक प्यारी सी औरत। जिसे देखते ही पूर्वा ने कहा, “एकदम हमारी दादी जैसी दिखती हैं ना…?” पूशन ने मुंह बिचकाकर कहा, “मुझे क्या? अगर इन लोगों ने अमरूद के पेड़ से फल तोड़े ना…तो मैं ना…।” पूशन ने अपनी मुट्ठियां भींच लीं। पूर्वा धीरे से बोली, “यह उनका घर है, उनके पेड़ हैं, तो फल भी उनके हुए ना।” पूशन उदास हो गया। उसका किसी काम में मन नहीं लगा। शाम को गली के पास नाले में उसे बिल्ली के कुछ बच्चे घूमते नजर आए। उसने एक बच्चे को गोद में उठाया और जल्दी से चलने लगा। सामने वाले घर के आगे रुककर उसने गेट के नीचे से बिल्ली के बच्चे को अंदर डाल दिया और झटपट अपने घर लौट आया। अगले दिन स्कूल जाते समय पूशन ने सामने वाले घर के गेट से अंदर झांककर देखा, तो उसे कुछ नजर नहीं आया। मन ही मन उसने सोचा, ‘जरूर बिल्ली का बच्चा घर के अंदर पहुंचकर धमाल कर रहा होगा। बूढ़े अंकल उसे पकड़ने के लिए पीछे-पीछे भाग रहे होंगे। बिल्ली का बच्चा उनके पैरों के बीच से निकल गया होगा और ये गिरे अंकल…।’ सोचकर पूशन को हंसी आ गई। स्कूल से लौटते ही वह बिना यूनिफॉर्म बदले सामने वाले घर की तरफ दौड़ गया। पूर्वा उसके पीछे-पीछे चली गई, “पुश, मम्मी खाने के लिए बुला रही है, कहां जा रहे हो?” पूशन ने पलटकर कहा, “अमरूद लाने।” पूर्वा घबराकर बोली, “तू पकड़ा जाएगा, बड़ी मार पड़ेगी। अंकल से भी और पापा से भी।” पूशन ने उसकी बात नहीं सुनी। सामने वाले घर का गेट खुला हुआ था। पूशन चुपके से अंदर चला गया। अमरूद के पेड़ के नीचे खड़े होकर उसने पके अमरूदों की मीठी गंध अपनी नाक में भरी। नीचे गिरे दो-तीन अमरूद उसने जेब में उठाकर रख लिए। ऊपर पेड़ की तरफ देखकर उसने सोचा, ‘ओह, क्या इतने सारे अमरूद तोतों को खाने को मिलेंगे?’ अचानक उसे ‘म्याऊं-म्याऊं’ की आवाज सुनाई पड़ी। लॉन के एक कोने में कल वाला बिल्ली का बच्चा एक बड़े से बर्तन से दूध सुड़कता हुआ खुश हो रहा था। पूशन उसके पास गया और बोला, “मैंने तुम्हें यहां ऊधम करने भेजा था और तुम लगे पिकनिक मनाने…।” उसने बिल्ली के बच्चे को अपने हाथ में उठाया और बाहर ले आया। बाहर नाली में गंदा पानी बह रहा था। उसने बिल्ली के बच्चे  को वहां बिठा दिया। और दौड़ता हुआ अपने घर वापस आ गया। पूर्वा के हाथ में उसने अमरूद रखे और मुसकराते हुए बोला, “देखा, मैंने कहा था ना अमरूद लेकर आऊंगा…।” पूर्वा ने अमरूद हाथ में उलट-पलटकर देखा। अपने छोटे भाई के चेहरे पर शरारती मुसकान देखकर वह समझ गई कि कुछ गलत काम करके आया है। वह अमरूद लेकर सामने वाले घर चली गई। बाहर नाले में उसे ‘म्याऊं-म्याऊं’ करता बिल्ली का बच्चा दिख गया। उसने बच्चे को गोद में उठा लिया। गेट के बाहर लगी घंटी दबाते ही सामने सफेद बालों वाली आंटी आ गईं। पूर्वा के हाथ में बिल्ली को देखकर वह खुश होकर बोलीं, “मैं इसे ही ढूंढ़ रही थी। पता नहीं, कैसे गेट से बाहर निकल गया…?” आंटी ने पूर्वा को अंदर आने का इशारा किया। दो दिन में घर का हुलिया बदल गया था। लॉन एकदम साफ था। बीच में एक झूला भी लग गया था। आंटी ने पूर्वा के सिर पर प्यार से हाथ फेरकर कहा, “इस घर के केयरटेकर नंदू ने बताया था कि पास में दो बच्चे रहते हैं, जो इस घर में अकसर आते थे, पेड़ों पर चढ़ते थे, खेलते थे…। तुम जानती हो उनको?” पूर्वा सिर झुकाकर बोली, “मैं और मेरा भाई पूशन…। वह आपसे बिना पूछे अमरूद लेकर गया…। मैं लौटाने आई हूं।” आंटी हंसने लगीं, “मैंने देखा था उसे अंदर आते हुए, कल उसे गेट के नीचे से बिल्ली का बच्चा अंदर डालते हुए भी मैंने खिड़की से देख लिया था। जरा उसे बुलाओ तो…।” पूर्वा घबरा गई। आंटी जरूर पूशन को बुलाकर डांटने वाली हैं। वह कुछ कहती, इससे पहले पूशन अपनी बहन के पीछे-पीछे वहां आ गया। डर तो वह भी रहा था। आंटी ने दोनों को ध्यान से देखते हुए कहा, “मुझे तो बताया गया था, तुम दोनों पेड़ पर चढ़ने में उस्ताद हो। मुझे भी तो अमरूद तोड़कर खिलाओ।” पूशन के चेहरे पर चमक आ गई। वह दौड़कर आंटी से लिपट गया, “सॉरी आंटी, मैं रोज आपको अमरूद खिलाया करूंगा, कभी-कभी आम भी…।” आंटी हंसने लगीं। लॉन में कुर्सी पर बैठे अंकल भी हंसने लगे। पूर्वा और पूशन को सामने वाला घर फिर से अपना लगने लगा।

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Advantages of friction: 1 Friction enables us to walk freely. 2 It helps to support ladder against wall. 3 It becomes possible to transfer one form of energy to another. 4 Objects can be piled up with

History of India The Indian subcontinent, the great landmass of South Asia, is the home of one of the world’s oldest and most influential civilizations. In this article, the subcontinent, which for hi

bottom of page