top of page

Education is fun for all ages

raju

“गोलू कब तक खेलोगे? चलो, अंदर घर में।”  “बस मम्मी, थोड़ी देर और।” कहते हुए गोलू अपनी धुन में रम गया। घर के पिछले हिस्से में थोड़ी सी जमीन है। गोलू की मम्मी को बागवानी का शौक है। उस जमीन में उन्होंने मिर्च, धनिया, टमाटर, भिंडी, पपीता आदि के छोटे-छोटे पौधे लगा रखे हैं। इन पौधों के साथ-साथ उन्होंने रंग-बिरंगे फूलों को भी एक किनारे लगा रखा है। गंेदा और गुलाब तो खूब खिले हैं। गुलाबी, लाल, पीले और सफेद रंग के गुलाब गोलू को बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं।  इन रंग-बिरंगे फूलों पर तितलियां भी खूब मंडराती हैं। सुंदर फूलों पर खूबसूरत तितलियों को देखकर गोलू चहक उठता। उसका मन होता उन तितलियों को पकड़ने का। कई दिनों से वह तितलियों को पकड़ना चाह रहा था, पर जैसे ही वह तितलियों के पास जाता, वे फुर्र से उड़ जातीं।  गोलू फिर से तितली की तरफ चुपचाप धीरे-धीरे आगे बढ़ता। वह फिर असफल होता, पर निराश नहीं होता। गोलू ने अपनी कोशिश जारी रखी।   गोलू की मम्मी कुछ देर बाद छत पर कपड़े सुखाने गईं, तो देखा कि गोलू अभी भी बगीचे में ही है। वह गुस्सा हुईं, “अभी तक तुम खेल ही रहे हो। चलो, अंदर आओ।”  “बस आ रहा हूं मम्मी।” कहते हुए गोलू अंदर जाने ही वाला था कि लाल वाले गुलाब के फूल पर पीले रंग की तितली उसे दिखाई दी। वह अपने नन्हे कदमों से चुपके-चुपके उसकी ओर बढ़ने लगा।  मम्मी छत से नीचे आईं, तो देखा कि गोलू अभी भी वापस नहीं आया है। वह बगिया की ओर बढ़ीं। गोलू को धीरे-धीरे चलता हुआ देखकर मम्मी दरवाजे के पास ही रुक गईं।  गोलू ने फूल के पास पहंुचकर तितली को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, पर इस बार भी तितली पकड़ में नहीं आई। मम्मी अपने बेटे की चंचलता देखकर मुसकरा उठीं। वह दरवाजे पर खड़े होकर गोलू को तितली पकड़ते हुए चुपके-चुपके देखने लगीं।  जिस तितली को गोलू पकड़ नहीं पाया था, वह  तितली दूसरे फूल पर जाकर बैठ गई। गोलू चुपके-चुपके उसके पीछे गया और बहुत आहिस्ता से अपना हाथ तितली की ओर बढ़ाया।  इस बार गोलू को तितली पकड़ने में सफलता मिल ही गई।।  गोलू खुशी से चहक उठा। पकड़ी हुई तितली वह मम्मी को दिखाने के लिए घर में जाने के लिए मुड़ा, तो देखा, मम्मी उसे ही देख रही थीं। वह मम्मी की तरफ बढ़ा और चहककर बोला, “मम्मी देखो, मैंने कितनी प्यारी तितली पकड़ी है।”  “हां बेटा, तितली तो बहुत प्यारी है लेकिन।” कहते-कहते मम्मी रुक गईं। “लेकिन क्या मम्मी?” “बेटा, इस प्यारी तितली को यदि तुम कुछ देर और पकड़े रहे, तो यह प्यारी तितली प्यारी नहीं रह जाएगी।” मम्मी ने समझाने का प्रयास किया। “वह कैसे मम्मी?” “तितली के पंख बहुत नाजुक होते हैं। तुम्हारी उंगलियों की पकड़ यह ज्यादा देर तक सह नहीं पाएगी और इसके पंख टूट जाएंगे। फिर भला यह टूटे पंखों के साथ प्यारी कैसे दिखेगी?” “ओह, मेरे पकड़ने से तितली के पंख टूट जाएंगे?” गोलू की आंखें अचरच से बड़ी हो गईं। “हां बेटा, तितली को पकड़ने से उसके पंख टूट जाते हैं।” मम्मी ने समझाया। “फिर मुझे क्या करना चाहिए?” गोलू ने भोलेपन से पूछा। “तुम्हें चाहिए कि तितली को उड़ने दो। उसे पकड़ो मत।” “हां मम्मी, तितली को उड़ने दो।” कहते ही गोलू ने तितली के पंखों से अपनी उंगलियों की पकड़ ढीली की और तितली को छोड़ दिया उड़ने के लिए। तितली उड़ी और घर की बगिया के एक फूल पर जाकर बैठ गई। कुछ देर बाद तितली उस फूल से उड़ी और दूसरे फूल पर जा बैठी।  गोलू और मम्मी खुशी-खुशी तितली को उड़ते देख रहे थे।   एक फूल से उड़कर दूसरे फूल पर जब तितली बैठी, तो गोलू को ऐसा लगा, जैसे तितली भी मम्मी की तरह उससे कह रही है, “तितलियों को उड़ने दो।”

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Advantages of friction: 1 Friction enables us to walk freely. 2 It helps to support ladder against wall. 3 It becomes possible to transfer one form of energy to another. 4 Objects can be piled up with

History of India The Indian subcontinent, the great landmass of South Asia, is the home of one of the world’s oldest and most influential civilizations. In this article, the subcontinent, which for hi

bottom of page